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  admin       February 22, 2020

आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर Ayurvedic Acupressure

         आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर Ayurvedic Acupressure

एक्यूप्रेशर एक पुरातन भारतीय चिकित्सा ( Ancient Technic Of India)  पद्धति है, जिसके सूत्र प्राचीन भारतीय साहित्य, आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा (Naturopathy) पद्धतियों में स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। स्व-उपचार की इस विधा का उदगम संभवतः मनुष्य की उस सहज प्रवृत्ति (natural) में छिपा है, जिसमें कष्ट होने पर व्यक्ति सर्वप्रथम कष्ट से प्रभावित स्थान पर दबाव देकर कष्ट से मुक्ति पाना चाहता है। सिर या पैर में दर्द होने पर व्यक्ति सहज रूप से दर्द के स्थान पर दबाव देकर दर्द के निवारण (Prevention) का प्रयत्न करता है। मनुष्य की इस स्वाभाविक प्रवृत्ति के आधिर पर गहन अध्ययन (in-depth study) एवं चिन्तन के फलस्वरूप ही उपचार की इस सहज एवं सरल चिकित्सा विद्या का जन्म हुआ, जिसमें शरीर में ही विद्यमान (Existing) विभिन्न बिंदुओं पर दबाव देकर ऊर्जा संतुलन के माध्यम से रोग का उपचार किया जाता है। 

क्या कभी आपने सोचा कि जंगलों में रहने वाले जानवर इत्यादि अस्वस्थ होने पर क्या करते हैं? प्रायः हम देखते हैं कि जानवर पेड़ के तने या दीवार से अपने शरीर के विभिन भागों को रगहते हैं, अथवा कुछ जानवर की जमीन में लोटकर अपने शरीर को रगड़ते हैं। वस्तुतः वे शरीर में विद्यमान उपचार के बिंदुओं को रगड़कर या दबाव देकर शरीर को स्वस्थ रखने का प्रयत्न कर रहे होते हैं। शरीर में विद्यमान उपचार की इस अद्भुत क्षमता को ही वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान कर विद्वानों ने एक्यूप्रेशर नामक उपचार की विधा को, अन्य प्रचलित विधाओं के समकक्ष प्रति स्थापित किया है। निरन्तर हो रहे चिन्तन एवं अनुसंधान के फलस्वरूप ही अब एक्यूप्रेशर के माध्यम से छोटी -मोटी व्याधियों से लेकर कैंसर जैसी असाध्य कही जाने वाली बीमारियों तक का सफलता पूर्वक उपचार किया जा रहा है।

      “एक्यूप्रेशर” दो शब्दों के योग से बना है – एक्यू+प्रेशर। ‘एक्यू’ का शाब्दिक अर्थ है ‘सुई / नुकिला और ‘प्रेशर’ का तात्पर्य है ‘दबाव’। सुई की नोक के समान सूक्ष्म बिंदु पर, दबाव देना ही एक्यूप्रेशर है। इन सूक्ष्म बिदुओं पर दबाव देने के कई माध्यम हो सकते हैं जैसे कि बीज, सुई, नुकीली वस्तु, चुंबक (magnet) इत्यादि। उपचार देने के इन माध्यमों के आधार पर ही इसको कई नामों से जाना जाता है।  जब हम उपचार के बिंदु पर किसी नुकीली वस्तु से दबाव देते हैं तो इसे ‘एक्यूप्रेशर की संज्ञा दी जाती है। इसी आधार पर इस विधा के साथ कई संज्ञाएं जुड़ जाती हैं। वस्तुतः एक्यूप्रेशर / एक्यूपंक्चर, चुंबक (magnet) चिकित्सा, बीज चिकित्सा, रंग चिकित्सा इत्यादि

भिन्न -भिन्न उपचार नाम देने के भिन्न -भिन्न तरीके हैं, जिनके मूल में एक ही अवधारणा विद्यमान है। पूरे शरीर मे विद्यमान विशिष्ट बिंदुओं पर अथवा उनके सादृश्य (Correspondence/ Reflex) पर दबाव देकर अथवा बीजों का प्रयोग करके अथवा सुई लगाकर अथवा रंग लगाकर अथवा छोटे -छोटे चुंबक (magnet) लगाकर बिंदुओं से संबंधित शरीर के भाग या अवयव (Organ) में विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र (Electro Magnetic field) विकसित किया जाता है, जिसे शास्त्रों में चेतना (Bio Energy) की संज्ञा दी गई है। यह चेतना ही जीवन का आधार है। हमारा शरीर रोगी रहे या निरोगी, यह चेतना पर निर्भर करता है। इस चेतना का संतुलन ही एक एक्यूप्रेशर चिकित्सा का मूल उद्देश्य है।

      एक्यूप्रेशर को एक विस्तृत आयाम प्रदान करते हुए, इसका संयोग आयुर्वेद के साथ किया गया। आयुर्वेद शब्द, दो शब्दों के योग से बना है – आयु+वेद। इसका अर्थ है – आयु = जीवन, वेद = ज्ञान अतः आयुर्वेद = जीवन का ज्ञान। आयुर्वेद, अर्थववेद का एक भाग, जिसमें जीवन के सम्पूर्ण ज्ञान की व्याख्या की गयी है। जीवन के प्रत्येक पहलू – क्या है, कैसे जीना चाहिए?  जीवन के लिए क्या उपयोगी, क्या अनुपयोगी है आदि विषयों पर चर्चा है। अतः आयुर्वेद के समान दृष्टिकोण को, स्वास्थ्य की सरलतम चिकित्सा विधा एक्यूप्रेशर के साथ जोड़ा गया। इससे जीवन के ज्ञान को एक्यूप्रेशर द्वारा जानने समझने का सफलतम् प्रयास सिद्ध होता प्रतीत हो रहा है।

संक्षेप में “आयुर्वेद एक्युप्रेशर को निम्नलिखित प्रकार समझा जा सकता है – आयुर्वेद = आयु + वेद = जीवन का ज्ञान

  एक्यूप्रेशर = एक्यू + प्रेशर = सुई समान दाब (सूक्ष्म)

अतः आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर = सुई के समान, सूक्ष्म दाब द्वारा जीवन का ज्ञान। 

     सरल शब्दों में आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशर द्वारा विकसित बिंदुओं पर उपचार द्वारा जीव के सम्पूर्ण (शरीर, मन, आत्मा) पर प्रभाव देखे गये हैं। हल्का सा दबाव, हमारे जीवन में परिवर्तन ला सकता है, यह सोचने का विषय है।

     Ayurvedic acupressure (also known as Marma therapy) is a particular kind of massage or an alternative medical treatment, which integrates the knowledge of ancient Ayurveda and the principles of acupressure, allegedly to completely heal and cure physical, mental, emotional and spiritual illnesses.

According to Charaka Samhitā, an early text on Ayurveda, the cosmos and its correspondence – the human body, are composed of both physical (Visible) and metaphysical (Invisible) forces.

Ayurvedic acupressure talks about 10 elements – 5 physical and 5 metaphysical.

  • 5 elements (not exactly elements but like forms of matter exists in our body and environment) or Paunch Tatva: – Electricity or flow of charges (not space as it does not exist in our body and environment), Air, Fire, Water, Space and Earth.
  • 5 metaphysical elements: – Time, Direction, Mind, Soul and Tam (Darkness/ Origin).

In Ayurveda the pressure points or the meridians are called Marma points. These are considered as energy points, just as Chinese refer them as pressure points, and they help in stimulating not only circulation, but also improve mental and emotional outlook. The Marma points are located throughout the body.

Treatment in Ayurvedic Acupressure can be easily done without needles by:

  1. Applying pressure with finger, Sharp tools (made by plastic, wood, metal)
  2. Seeds (fenugreek, green gram, wheat, gram, beans, mustard)
  3. Magnets (star, byol, chakra, bar)  
  4. Colours (red, orange, yellow, green, blue, indigo, violet and brown)

The Acupressure shodh prashikshan evam upchar sansthan, PryagRaj (UP) is a non-government organization working for the many years in popularizing, research & developing the Ayurvedic Acupressure.

There are many branches of acupressure/ acupuncture as we know it today. They are; Traditional Chinese Medicine (TCM), Ayurvedic Acupressure, Sujok, Reflexology etc. Regulation of Bio-Energy is the sole basic of Acupressure systam.

           

                              

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